मोदी सरकार की गलत नीतियों के कारण लगातार गिर रहा रुपयों का स्तर

डाॅलर के मुकाबले रूपए की गिरावट को पूर्व संसदीय सचिव ने बताया मोदी के गलत नीतियों का परिणाम:विनोद चंद्राकर

पूर्व संसदीय सचिव व महासमुंद विनोद चंद्राकर

(जिला मुख्यालय) :- मोदी सरकार की गलत नीतियों के कारण लगातार गिर रहा रुपयों का स्तर पूर्व संसदीय सचिव व महासमुंद के पूर्व विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के कारण डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार अपने न्यूनतम स्तर पर चल रहा है। रुपए की इस गिरावट पर न तो प्रधानमंत्री की आवाज निकल रही है और न ही किसी अन्य भाजपाई के मुंह से कुछ निकल पा रहा है। इस रिकॉर्ड गिरावट का श्रेय भी आगे बढ़कर प्रधानमंत्री और सभी भाजपाइयों को लेना चाहिए। चंद्राकर ने कहा कि यह देश के लिए कितने शर्म की बात है कि केंद्र सरकार के लचर वित्तीय प्रबंधन व गलत आर्थिक नीतियों के कारण एक डॉलर अब 83.52 रूपए के बराबर हो चुका है।

देश के इतिहास में यह गिरावट आज तक की सबसे

C.M अरविंद केजरीवाल ने ईडी की गिरफ्त में रहते हुए आज जेल से शुरू सरकार

बड़ी गिरावट है। लगातार गिर रहे रूपए को संभालने के

वीडियो भी देखें = https://www.youtube.com/watch?v=Htszv7aWFRc

लिए केंद्र सरकार के पास न तो कोई नीति है और न ही

किसी तरह की नीयत है। यही कारण है कि 2014 में

भाजपा की सरकार बनने के बाद से लगातार रुपया

कमजोर हो रहा है। उन्होंने कहा कि अगर यह सब इसी

तरह चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं, जब रुपया और

अधिक लुढ़कते हुए 84 का आंकड़ा भी पार कर लेगा।

यह कितनी चौंकाने वाली बात है कि रूपए की गिरावट पर न

केंद्रीय वित्त मंत्रालय ना ही देश के आर्थिक सलाहकार कुछ कह पा रहे हैं।

चंद्राकर ने कहा कि रुपया लगातार गिरने से देश का व्यापार घाटा और अधिक बढ़ेगा, जिसका बोझ विनिर्माण कंपनियां सीधे ग्राहकों पर डालेगी। रूपए का मूल्य गिरने से मोबाइल के दामों में बढ़ोतरी होगी, जबकि मोबाइल हर आदमी की जरूरत बन चुका है। विदेशों में पढ़ रहे बच्चों के माता-पिता को अब और अधिक राशि का भुगतान संबंधित कॉलेज, यूनिवर्सिटी को करना पड़ेगा। उन्हों ने कहा जिस तरह से सपने दिखा कर भारतीय जनता पार्टी ने केंद्र की सत्ता हासिल की थी, उन्हें पूरा करने के लिए कोई काम नहीं किया गया। उल्टा इस सरकार ने बेरोजगारी, महंगाई को बेहद उच्च स्तर पर बढ़ा दिया और रूपए को इसके रिकॉर्ड न्यूनतम स्तर पर पहुंचा दिया। इन सभी का हिसाब देश की जनता लोकसभा चुनाव के दौरान जरूर मांगेगी।

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