राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूरे: राष्ट्रभक्ति की अमर ध्वनि का उत्सव

यह गीत सदैव हमें हमारी मिट्टी, हमारी संस्कृति और हमारे राष्ट्र के प्रति समर्पण की याद दिलाता रहेगा।

(mns24.com National Song देश) :- राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूरे दिल्ली , 7 नवंबर 2025 — आज पूरा देश होने का उत्सव मना रहा है। यह गीत भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की आत्मा माना जाता है, जिसने असंख्य देशभक्तों में आज़ादी की ज्योति प्रज्वलित की थी। ‘वंदे मातरम’ की रचना महान साहित्यकार और देशभक्त बंकिम चंद्र चटर्जी ने वर्ष 1875 में की थी। यह गीत उनके प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंदमठ’ में शामिल किया गया था, जो 1882 में प्रकाशित हुआ। गीत में मातृभूमि भारत को देवी रूप में चित्रित किया गया है — यह केवल एक गीत नहीं, बल्कि देशभक्ति, संस्कृति और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बन गया। इस गीत की पहली दो पंक्तियाँ — “वंदे मातरम, सुजलाम् सुफलाम् मलयजशीतलाम्” — को संविधान सभा ने

24 जनवरी 1950 को आधिकारिक रूप से राष्ट्रीय गीत का दर्जा

दिया। वहीं, जन गण मन को राष्ट्रीय गान के रूप में स्वीकृत किया गया

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स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वंदे मातरम एक नारा बन गया था। लाला लाजपत राय, बिपिन चंद्र पाल, अरविंद घोष और नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे महान नेताओं ने इसे अपने आंदोलनों का प्रेरणास्रोत माना। ब्रिटिश शासन के दौरान जब भी यह गीत गाया जाता, लोगों के भीतर अटूट साहस और राष्ट्रप्रेम का संचार होता था। आज, 150 वर्ष बाद भी वंदे मातरम भारतीय जनमानस में वही जोश और गर्व जगाता है। देशभर में स्कूलों, सांस्कृतिक संस्थानों और सरकारी आयोजनों में इस अवसर पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। यह अवसर केवल एक गीत की वर्षगांठ नहीं, बल्कि उस भावना का उत्सव है जिसने भारत को एक सूत्र में बाँधा — “वंदे मातरम, भारत माता की जय!

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