(Modi’s visit and America’s mns24.com देश) :- भारत-चीन रिश्तों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हालिया चीन दौरा न केवल एशियाई भू-राजनीति के लिहाज़ से अहम माना जा रहा है बल्कि अमेरिका में भी इस पर गहन बहस छिड़ी हुई है। अमेरिकी मीडिया और विशेषज्ञ इस यात्रा को भारत और अमेरिका के रिश्तों के संदर्भ में देखकर विश्लेषण कर रहे हैं। दरअसल, बीते कुछ समय से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारत के बीच आर्थिक रिश्तों में खटास आई है। ट्रंप प्रशासन ने भारतीय उत्पादों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाए हैं और रूस से भारत की तेल व हथियार खरीद पर कड़ा रुख अपनाया है। इसके चलते अमेरिका में यह आशंका जताई जा रही है कि भारत चीन की ओर कूटनीतिक और आर्थिक रूप से झुक सकता है।
अमेरिका भारत का बड़ा व्यापारिक साझेदार है। वर्ष 2024 में
अमेरिका ने भारत से 87.3 अरब डॉलर का आयात किया था,
भारत-अमेरिका व्यापार पर संकट: ट्रंप ने भारत पर लगाया अतिरिक्त 25%
जो भारत के कुल निर्यात का लगभग 18 प्रतिशत है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ट्रंप प्रशासन का यह रुख जारी रहा, तो इससे भारत का व्यापार घाटा और बढ़ सकता है। साथ ही, यह असर भारत की जीडीपी पर भी पड़ेगा और अनुमान है कि इस वर्ष जीडीपी में 0.5 प्रतिशत की कमी आ सकती है।
अमेरिकी मीडिया भारत को आगाह कर रहा है कि चीन के
साथ नज़दीकी बढ़ाने से भारत को रणनीतिक नुकसान हो
सकता है। उनका तर्क है कि भारत को अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ रिश्ते मज़बूत करने चाहिए ताकि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और निवेश के अवसर सुरक्षित रह सकें। कुल मिलाकर, मोदी का चीन दौरा भारत की विदेश नीति में संतुलन साधने का प्रयास माना जा रहा है। लेकिन अमेरिका की ओर से मिल रहे संकेत यह साफ़ करते हैं कि वॉशिंगटन इस यात्रा को लेकर सतर्क है और भारत को अपने आर्थिक और सामरिक विकल्पों पर सावधानी से विचार करना होगा।
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