पुर्नविकास योजना पर मंत्री मंडलीय बैठक

मंत्री मंडलीय उप समिति की बैठक में शांति नगर पुर्नविकास योजना पर बनी सहमति

राजधानी रायपुर के शांति नगर पुर्नविकास योजना पर मंत्री मंडलीय उप समिति की बैठक में होगी। छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल द्वारा प्रस्तावित पुर्नविकास योजना पर चर्चा के लिए आज लोक निर्माण मंत्री ताम्रध्वज साहू के रायपुर स्थित निवास में बैठक आयोजित की गयी।

बैठक में आवास एवं पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर, नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री डाॅ. शिवकुमार डहरिया, सचिव आवास एवं पर्यावरण अंकित आनंद और

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छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के आयुक्त अयाज तम्बोली उपस्थित थे। बैठक में सचिव आवास एवं पर्यावरण ने प्रस्तावित कार्ययोजना के बारे में बताया कि पुर्नविकास का

कार्य 12 से 18 माह में चार चरणों में होगा। उन्होंने ने बताया कि जल संसाधन विभाग द्वारा जी, एच, एवं आई टाईप के भवनों को भूमि सहित समस्त परिसम्पतियों

के साथ आवास एवं पर्यावरण विभाग को हस्तांतरित किया गया है। इन भवनों को जीर्ण-शीर्ण घोषित करने के लिए प्रकरण सामान्य प्रशासन विभाग को भेजा गया है।

लोक निर्माण विभाग के सभी बी, सी, डी, ई एवं एफ टाईप आवासों को जीर्ण-शीर्ण घोषित किया जा चुका है। प्रथम चरण में 10 आवासों को हटा दिया गया है तथा 2 आवास शेष है।

प्रथम चरण में 31 अवैध निर्मित झुग्गी-झोपड़ी है, इन्हें हटाने के लिए नगर निगम के माध्यम से सर्वे कर आबंटन की प्रक्रिया जारी है।

द्वितीय एवं तृतीय चरण में 18 ई एवं एफ टाईप के भवनों को आबंटन के बाद हटाया जा रहा है। इन्ही दो चरणों में 268 जी, एच एवं आई टाईप के भवनों को रिक्त करना आवश्यक है।

गृह निर्माण मण्डल के वर्तमान में रिक्त 268 भवनों को जी.ए.डी. पूल से उपलब्ध कराना प्रस्तावित है। उन्होंने बताया कि बोरियाकला में 2-3 बीएचके भवन उपलब्ध है।

जी श्रेणी आवास के विरूद्ध 3 बीएचके तथा एच एवं आई के विरूद्ध 2 बीएचके भवन जी.ए.डी पूल में दिया जाएगा। इन भवनों की अनुमानित लागत 69 करोड़ 50 लाख रुपए है।

चतुर्थ चरण में रिक्त किए जाने वाले आवासों का निर्माण नया रायपुर में प्रगति पर है। कार्य पूर्ण होने के बाद सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा नवीन आबंटन आदेश होने के

बाद आवास रिक्त हो सकेंगे।मंत्री मंडलीय उप समिति की बैठक मे निर्णय लिया गया कि भूमि विकास योजना पीपीपी माॅडल पर किया जाएगा। इसके अनुसार गृह निर्माण मण्डल

भूमि के अग्रिम आधिपत्य पश्चात आर्किटेक्चरल फर्म के लिए निविदा आमंत्रित करेगा। आर्किटेक्ट के माध्यम से कन्सेप्ट (लेआउट) को निर्धारित किया जाएगा।

निर्धारित कान्सेट के ऊपर निविदा आमंत्रित करते हुए भूमि के मूल्य, समायोजित भवनों की लागत, इसकी कुल राशि को फर रेट माना जाएगा

तथा इसके ऊपर बोली के आधार पर विकासक का चयन किया जाएगा। विकासक आवश्यक अनुमति, भूमि विकास, भवन निर्माण, उसका विक्रय, हितग्राही से

संबंधित विधिक समस्या, इन सभी कार्यो के लिए जिम्मेदार होगा। विकासक भवनों के निर्धारण में स्वयं के आर्किटेक्ट रखते हुए भवनों की रूपरेखा, उसका प्रकार,

आदि निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र होगा, किन्तु निर्धारित कान्सेप्ट का उल्लंघन नहीं कर सकेगा। विकासक को चरणबद्ध रूप में भूमि हस्तांतरण किया जाएगा। जिस चरण की भूमि उसको हस्तांतरित की जा रही है। उस चरण के समेकित भूमि मूल्य के 50 प्रतिशत राशि गृह निर्माण मण्डल के माध्यम से शासन को देय होगी। शेष सम्पूर्ण राशि 24 माह के भीतर विकासक द्वारा गृह निर्माण के माध्यम से शासन को देय होगी। इस समयावधि में कोई परिवर्तन नहीं होगा तथा विलंब परिलक्षित होने पर 10 प्रतिशत साधारण ब्याज की दर से देय होगा एवं किसी भी स्थिति में 01 वर्ष से अतिरिक्त विलंब स्वीकार्य नहीं होगा। यह समयावधि समाप्त होने के पश्चात जिस स्थिति में कार्य होगा, उस स्थिति में विकासक को पृथक करते हुए अधिग्रहित किया जाएगा।

 

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