महानगरों की दीवाली इकोफ्रेंडली दीयों से

छत्तीसगढ़ के इकोफ्रेंडली दीयों से रौशन होगी देश के विभिन्न महानगरों की दीवाली

06 नवम्बर 2020

महानगरों की दीवाली इकोफ्रेंडली दीयों से छत्तीसगढ़ में बनाए जा रहे गोबर के दीयों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। दन्तेवाड़ा के राष्ट्रीय आजीविका मिशन की महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा पहली बार 35 हजार आकर्षक दीये तैयार किये हैं। अब ये दीये देश के बड़े शहरों जैसे नागपुर,

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मुंबई और पुणें में अपना प्रकाश बिखेरेंगे। इन समूूहों द्वारा तैयार लगभग 60 हजार रूपये के 15 हजार दीये नागपुर शहर के ‘‘अवसर फाउंडेशन’’ द्वारा क्रय किया गया है।

ये दीये आकर्षक होने के साथ ही पर्यावरण के अनुकूल हैं। उपयोग के बाद इन्हें खाद के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। गोबर निर्मित सामानों की मांग बढ़ने सेे

ग्रामीण महिलाओं को रोजगार के साधन के साथ मजबूत आधार मिल रहा है।राज्य सरकार द्वारा गोधन के समुचित उपयोग को बढ़ावा देने से रोजगार के नये रास्ते खुले हैं।

महिलाओं को उनके घरों पर ही आर्थिक आय बढ़ाने के साधन उपलब्ध हो रहे हैं। पूजा-पाठ के लिए गोबर का उपयोग पवित्र और शुद्ध माना गया है इसे देखते हुए महिलाओं ने दीयों के अलावा मूर्तियां, शुभ-लाभ, हवन कुण्ड जैसे कई सामान तैयार किये हैं। तैयार सामानों के विक्रय के लिए भी प्रशासन महिलाओं को सहयोग कर रहा हैं जिससे उनमें आत्मविश्वास बढ़ रहा है। महिलाओं द्वारा तैयार गोबर के दीयों और अन्य सामान को दीपावली के अवसर पर अन्य क्षेत्रों में भी विक्रय हेतु कलेक्टर दीपक सोनी एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी अश्विनी देवांगन ने वाहन रवाना किया है।

{शिल्पकारों के सपने हो रहे साकार}

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ग्रामोद्योग मंत्री गुरु रुद्रकुमार के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड शिल्पकारों के सपनों को साकार कर रहा है। मंत्री गुरु रुद्रकुमार ने कहा कि हस्तशिल्प विकास बोर्ड द्वारा 8000 शिल्पियों का डाटा बेस तैयार कर उन्हें रोजगार मूलक कार्यक्रमों से जोड़ने कार्य योजना बनाई जा रही है।

उन्होंने कहा कि ग्रामीण अंचल के शिल्पकारों को रोजगार से जोड़कर राज्य के ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने की अनवरत कोशिश की जा रही है।

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ग्रामोद्योग संचालक सुधाकर खलखो ने बताया कि छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड ने बीते 2 वर्षों में आज करोड़ों रुपए के हस्तशिल्प सामग्री का विक्रय किया है।

उन्होंने बताया कि विकास योजनांतर्गत बोर्ड द्वारा 88 लाख रुपए आवंटित कर 519 शिल्पियों को लाभान्वित करने के साथ ही 171 हस्तशिल्पियों को औजार उपकरण एवं 05 शिल्पियों को कर्मशाला निर्माण हेतु अनुदान प्रदान किया गया। श्री खलखो ने बताया कि बीते दो वर्ष की इस अवधि में प्रशिक्षण अनुदान योजना अंतर्गत बोर्ड के समस्त केंद्रों के माध्यम से 98.33 लाख रुपए का व्यय करते हुए विभिन्न शिल्पकला से जुड़े 1168 हितग्राहियों को प्रशिक्षित किया गया। उन्होंने बताया कि शिल्पी डिजाइन शिक्षा योजनांतर्गत अब तक 7 छात्रों की फीस का भुगतान किया गया है और वनवासियों द्वारा उत्पादित हस्तशिल्प सामग्रियों को देश-विदेश तक पहुंचाने और बेहतर बाजार उपलब्ध कराने के लिए ट्राइफेड के साथ एमओयू किया गया है जिसके माध्यम से वनवासी शिल्पकारों की सामग्रियों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया गया है।

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