प्रभु श्रीराम का वनवास काल में छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले(Dhamtari jila) स्थित सिहावा पर्वत में आगमन हुआ था। धमतरी से 80 किलोमीटर की दूरी पर सिहावा पर्वत में सप्त ऋषियों के आश्रम विभिन्न पहाड़ियों में बने हुए हैं। राम मुचकुंद ऋषि, अगस्त्य ऋषि, अंगिरा, श्रृंगि ऋषि, कंकर ऋषि, शरभंग ऋषि और गौतम आदि ऋषियों के आश्रम में जाकर सभी ऋषि-मुनियों से भेंटकर आशीर्वाद प्राप्त किए थे।
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सिहावा महानदी(sihawa Mahanadi) का उद्गम स्थल है। राम कथाओं में यह वर्णन मिलता है कि भगवान श्रीराम इन स्थानों में निवासरत रहे। सिहावा की भौगोलिक स्थिति, ऋषि-मुनियों और गुरूकुल परम्परा में अध्यापन करने वाले विद्यार्थियों के लिए अनुकूल है, जहां राम साधु-सन्यासियों एवं मनीषियों के साथ सत्संग किए। सीतानदी सिहावा के दक्षिण दिशा में प्रवाहित होती है। सिहावा से आगे श्रीराम कंकर ऋषि के आश्रम (कांकेर kancer) पहुंचते हैं।
छत्तीसगढ़ शासन(Chhattisgarh shasan) ने राम वनगमन परिपथ को एक पर्यटन सर्किट के रूप में शामिल कर उनके सौंदर्यीकरण और विकास की योजना तैयार कर ली है। नया पर्यटन सर्किट में भगवान श्रीराम अपने वनवास काल के समय जहां-जहां से प्रवास किए उन स्थानों या परिपथ को बेहतर सड़क सहित अन्य पर्यटन(paryatan) सुविधाओं के तहत विकसित किए जाएंगे।
छत्तीसगढ़ शासन(Chhattisgarh shasan) द्वारा पूरे प्रदेश में प्रभु राम वनपथ गमन स्थलों को सौंदर्यीकरण की तैयारी जोरों शोरों से चल रही है। इसमें हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का बहुत बड़ा योगदान है। और यह हमारे राज्य के लिए देशभर में गौरव(Gaurav) का विषय है।
(गिरौदपुरी धाम में मनाया जन्माष्टमी का उत्सव)
गिरौदपुरी धाम मेला आयोजन समिति द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार इस माह की 11 एवं 12 अगस्त को गिरौदपुरी धाम में जन्माष्टमी उत्सव का सामूहिक आयोजन नहीं किया जायेगा। जिले में कोरोना महामारी की लगातार बढ़ती हुई संख्या को ध्यान में रखते हुये भक्तों एवं श्रद्धालुओं के हित में समिति ने इस आशय का निर्णय लिया है। समिति ने सभी श्रद्धालुओं को सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करते हुये अपने-अपने गांव एवं घरों में श्रद्धापूर्वक जन्माष्टमी पर्व(Janmashtami parv) मनाने का अनुरोध किया है।