(राजधानी):- रायपुर में बूढ़ेश्वर मंदिर तिराहा संपूर्ण छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध है। मंचन देखने के लिए पूरे छत्तीसगढ़ से लोग यहां पहुंचते हैं। मंचन के दौरान कलाकार भगवान नृसिंह और राक्षस हिरण्यकश्यप का जो मुखौटा धारण करते हैं, वह मुखौटा 115 साल पुराना बताया जाता है।
ऐसा कहा जाता है कि इस मुखौटे को पाकिस्तान के मुल्तान शहर से आए कलाकारों ने बनाया था। कागज की लुगदी से तैयार किए गए मुखौटे को धारणकर जब कलाकार नृसिंह और हिरण्यकश्यप संहार का मंचन करते हैं तो इस जीवंत अभिनय को देखते ही दर्शक एक अलग दुनिया में पहुंच जाते हैं। बूढ़ेश्वर मंदिर के सामने लगातार एक सौ सालों से ये मंचन होता आ रहा है। हिरण्यकश्यप का संहार होने के बाद प्रहलाद और नृसिंह के जयकारे लगाए जाते हैं। इसके पश्चात आरती की जाती है