छत्तीसगढ़:- जाति प्रमाण पत्र पर सीएम ने धर्म बदलने वाले आदिवासियाें, ईसाईयों का जाति प्रमाण पत्र रद्द करने का दिया आदेश, नहीं मिलेगा आरक्षण
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जाति प्रमाण पत्र पर बड़ी खबर :: मुख्यमंत्री ने धर्म बदलने वाले आदिवासियाें, ईसाईयों का जाति प्रमाण पत्र रद्द करने का दिया आदेश, नहीं मिलेगा इन्हें आरक्षण
छत्तीसगढ़, बिहार, रांची : झारखंड में धर्मांतरण करनेवाले आदिवासियों को जाति प्रमाण पत्र नहीं मिलेगा। अब अनुसूचित जनजाति (एसटी) को केवल खतियान के आधार पर ही जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जायेगा। पहले आवेदक की जांच की जायेगी। उसके रीति-रिवाज, विवाह और उत्तराधिकार की प्रथा की जांच के बाद ही जाति प्रमाण पत्र जारी किया जायेगा। वास्तविक अनुसूचित जनजातियों में से रीति-रिवाज, विवाह और उत्तराधिकार की प्रथा का पालन करने वाले को ही जाति प्रमाण पत्र के आधार पर आरक्षण का लाभ लेने योग्य माना जायेगा। ऐसे आदिवासी, जिन्होंने धर्म परिवर्तन कर ईसाइ या अन्य दूसरे धर्म को अपना लिया है, उन्हें जाति प्रमाण पत्र नहीं दिया जायेगा। यही नहीं, जिन्हें पूर्व में जाति प्रमाण पत्र दिया जा चुका है, जांच के बाद उसे निरस्त भी किया जायेगा। महाधिवक्ता से मिली सलाह के बाद मुख्यमंत्री ने कार्मिक विभाग को इससे संबंधित सर्कुलर जारी करने का आदेश दिया है।
तीन बिंदुओं की जांच के बाद ही प्रमाण पत्र : कार्मिक विभाग द्वारा संबंधित सर्कुलर जारी करने के बाद तीन बिंदुओं पर जांच के बाद ही जाति प्रमाण पत्र जारी किये जायेंगे। महाधिवक्ता ने वर्ष 2004 में केरल सरकार बनाम चंद्रमोहन और 2006 में अंजन कुमार बनाम भारत सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये आदेशों के अनुपालन का सुझाव राज्य सरकार को दिया है। अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सांस्कृतिक व धार्मिक संस्कृति आदिवासियों की पहचान है। परंपरा, विवाह रीति और उत्तराधिकार की जनजातीय प्रथा का पालन नहीं करने वालों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए। सर्कुलर जारी होने के बाद इन्हीं तीन बिंदुओं पर जांच के बाद ही जाति प्रमाण पत्र जारी किये जायेंगे।(कॉपी पेस्ट)
पहले से निर्गत प्रमाण पत्रों की भी होगी जांच : कार्मिक विभाग द्वारा जारी किये जा रहे सर्कुलर के बाद पूर्व से जारी किये गये प्रमाण पत्रों को भी जांच के बाद निरस्त किया जा सकेगा। कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि धर्म परिवर्तन कर आदिवासी रीति-रिवाजों से दूर हो चुके लोगों को जनजातीय समाज से आने के बावजूद उसका हिस्सा नहीं माना जा सकता है। वैसे लोगों के लिए आदिवासियों को मिलने वाले आरक्षण का लाभ तत्काल खत्म किया जा सकता है। कार्मिक विभाग द्वारा तैयार किये जा रहे सर्कुलर में उच्चतम न्यायालय के उक्त आदेश का उल्लेख भी किया जा रहा है। इससे धर्म परिवर्तन कर चुके आदिवासियों को आरक्षण की सुविधा से वंचित किया जा सकेगा।
सीएम ने दिया आदेश
पूर्व में जारी किये गये जाति प्रमाण पत्रों की भी होगी जांच जाति प्रमाण पत्र के फॉर्मेट में बड़ा बदलाव करने जा रही है सरकार
अब राज्य में एसटी को केवल खतियान के आधार पर जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जायेगा। जाति प्रमाण पत्र जारी करने से पहले आवेदक की जांच की जायेगी। उसके रीति-रिवाज, विवाह और उत्तराधिकार की प्रथा की जांच के बाद ही जाति प्रमाण पत्र जारी किया जायेगा।
क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश सांस्कृतिक व धार्मिक संस्कृति आदिवासियों की पहचान है परंपरा, विवाह रीति और उत्तराधिकार की जनजातीय प्रथा का पालन नहीं करने वालों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए। सर्कुलर जारी होने के बाद इन्हीं तीन बिंदुओं पर जांच के बाद ही जाति प्रमाण पत्र जारी किये जायेंगे।