(जिला मुख्यालय):- जिले में खरीफ वर्ष 2020 में दो लाख 45 हजार हेक्टेयर पर धान बोनी का लक्ष्य रखा गया है। इसके विरूद्ध अब तक नौ हजार 445 हेक्टेयर क्षेत्र में बोनी का कार्य पूर्ण हो चुका है, दो हजार 335 हेक्टेयर क्षेत्र में नर्सरी लगाई गई है। खरीफ में दलहनी फसल के लिए दलहन 13 हजार 550 हेक्टेयर क्षेत्रफल में लगाने का लक्ष्य रखा गया हैं। इसकेे विरूद्ध 400 हेक्टेयर में फसल की बुआई की जा चुकी हैं। इसके अलावा तिलहन पाॅच हजार हेक्टेयर क्षेत्र में लगाने का लक्ष्य रखा गया हैं। इसके विरूद्ध 450 हेक्टेयर में लगाया जा चुका है। सोमवार 22 जून 2020 की स्थिति में जिले में 242.3 मि.मि. वर्षा हो चुकी है जो पिछले दस वर्षो की औसत वर्षा का 103.2 प्रतिशत है। वर्तमान में मानसून की अच्छी वर्षा होने के कारण अब कृषि कार्यों में और अधिक तेजी आएगी एवं बोनी का रकबा बढेगा।
बीज खाद वितरण
कृषि विभाग के उप संचालक ने बताया कि वर्तमान में जिले के सहकारी समितियों में बीज 40 हजार 378 क्विंटल एवं खाद 35 हजार 10 मी.टन भंडारित है, जो लक्ष्य का क्रमशः 84 एवं 86 प्रतिशत है एवं किसानों द्वारा बीज 32 हजार 846 क्ंिवटल एवं खाद 29 हजार 595 मी.टन उठाव कर लिया गया है, जो लक्ष्य का क्रमशः 68 एवं 73 प्रतिशत है। जिले के सहकारी समितियों में बीज एवं खाद पर्याप्त मात्रा में भण्डारित है कृषक भाईयों से अपील की गई है कि वे जल्द से जल्द बीज एवं खाद का उठाव कर लें।
के.सी.सी. ऋण वितरण
जिले में सहकारी समितियों के माध्यम से 310 करोड़ ऋण वितरण का लक्ष्य रखा गया है, जिसके विरूद्ध अब तक 144 करोड़ का ऋण वितरण कृषकों को किया जा चुका है।
जैविक खेती
जिले के बागबाहरा विकासखंड में जैविक खेती मिशन अंतर्गत दो ग्रामों बसुलाडबरी एवं भालूचुवा का चयन किया गया है। दोनों ग्रामों में 40-40 हेक्टेयर क्षेत्र में जैविक खेती की जा रही है। इसके अलावा विकासखंड बागबाहरा में परंपरागत कृषि विकास योजना अंतर्गत कुल 1000 हेक्टेयर में 05 ग्रामों के कलस्टर का चयन कर जैविक खेती किया जा रहा है। इसमें ग्राम कोमा में 200 हेक्टेयर चुरकी में 200 हेक्टेयर बी.के. बाहरा में 200 हेक्टेयर खल्लारी में 200 हेक्टेयर एवं आंेकारबंद में 200 हेक्टेयर क्षेत्र में कार्यक्रम लिया जा रहा है। जैविक खेती एवं परम्परागत कृषि विकास योजना अंतर्गत कुल 1017 कृषक लाभांवित हो रहे है। इस योजना के तहत् तीन वर्ष तक जैविक आदान सामग्री अनुदान पर वितरित किया जाता है तथा कृषकों का पंजीयन पी.जी.एस. इंडिया पोर्टल में भी किया जाता है।