नेचुरल मास्क महिला संमुह द्वारा

अंबिकापुर:- नोवल कोरोना से संक्रमण की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए मास्क की आपूर्ति को पूरा करने का बीड़ा उठाया है प्रदेश की महिला स्व-सहायता समूहों ने। महिला समूहों द्वारा ईको फ्रेंडली और रियूजेबल मास्क तैयार किए जा रहे हैं जो स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी गुणवत्तापूर्ण हैं। सरगुजा जिले की महिला स्व-सहायता समूह द्वारा तैयार गुणवत्तायुक्त मास्क आम लोगों को किफायती दर पर उपलब्ध हो रहे हैं।

इसके लिए जिले के सभी सात विकासखण्डों में करीब 25 स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा स्थानीय सामग्री की मदद से थ्री लेयर कपड़े के मास्क तैयार किए हैं। इन्हें स्थानीय स्तर पर 15 से 17 रुपये में इसकी बिक्री की जा रही है। मास्क तैयार करने में अम्बिकापुर विकासखंड के एकता, संतोषी, साईबाबा स्व-सहायता समूह, लखनपुर विकासखण्ड के आरती, नारीशक्ति, गायत्री स्व-सहायता समूह, उदयपुर विकास खंड के दुर्गा स्व सहायता समूह, मैनपाट विकास खंड के जय मां बूढ़ी दाई स्व-सहायता समूह लुण्ड्रा विकासखंड के प्रीति, तारा स्व सहायता समूह सहित विकासखंड बतौली और सीतापुर के करीब 25 स्व सहायता समूह की महिलाएं अपना योगदान दे रही हैं।

स्व-सहायता समूह की महिलाओं को बिहान के माध्यम से आवश्यक सहयोग प्रदान किया जा रहा है। बिहान के जिला कार्यक्रम अधिकारी राहुल मिश्रा ने बताया कि स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा बनाये जा रहे कपड़े के मास्क पर्यावरण अनुकूल है तथा इसे 8 घंटे उपयोग करने के बाद एंटीसेप्टिक युक्त पानी से धोकर फिर से उपयोग किया जा सकता है।

इसी प्रकार धमतरी जिले में महिलाओं को स्वास्थ्य विभाग ने कपड़ा उपलब्ध कराया है। जिसके माध्यम से वे रियूजेबल मास्क तैयार कर रही हैं। रियूशेबल मास्क की खासियत यह है कि स्वास्थ्य विभाग से मिले हरे रंग का कपड़ा साइंटिफिक एप्रूव्ड है। महिलाओं द्वारा तैयार किया जा रहा यह मास्क धोकर फिर से उपयोग करने लायक है। इसे धोने के बाद दोबारा उपयोग करने में कोई समस्या नहीं है। मगरलोड क्षेत्र की सर्वोदय आजीविका स्व-सहायता समूह और जय माता दी स्व-सहायता समूह की 20 महिलाएं इस काम में लगातार जूटी हुई हैं।

बिहान योजना के सहायक परियोजना अधिकारी जय वर्मा ने बताया कि महिला समूह मास्क बनाने का काम कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग से मिला कपड़ा कोरोना और अन्य वायरस के संक्रमण को कम करता है। यह मास्क जल्द ही शहर के अस्पतालों में भेजे जाएंगे। मास्क बनाने के लिए महिलाओं को विशेष ट्रेनिंग दी गई है।

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