दंतेवाड़ा यह कहानी दंतेवाड़ा की है जो कभी तिरंगे का विरोध करते थे, अब उसी तिरंगे को सलामी देते हैं। तिरंगे के नीचे शांति और सुकून है तिरंगा शौर्य और गर्व का प्रतीक है। तिरंगे के लिए करने वाला हर काम सम्मान दिलाता है। यह विचार और किसी के नहीं बल्कि आत्मसमर्पण करने वाली महिला नक्सलियों का है, जो कभी काले झंडे को सलाम करती थीं लेकिन आज वह तिरंगे की सलामी के साथ उसके नीचे खुद को सुरक्षति और सम्मानित महसूस करते हैं और अब देश की सुरक्षा में अपना एक अहम योगदान दे रही है।
नक्सलवाद ने छीना परिवार का सुख चैन :
02 साल पहले आत्समर्पण करने वाली पूर्व नक्सली का कहना है कि नक्सलवाद अब अपने मूल सिद्धांतों पर से भटक गया है। 02 साल पहले वह मोस्ट वांटेड महिला नक्सली थी और उसके विरुद्ध कई मामले दर्ज भी थे। उसकी गिरफ्तारी पर 05 लाख ₹. का इनाम भी घोषित किया गया था नक्सली संगठन के लिए अपने जान की बाजी लगाने वाली दो बहनों और उनके चाचा को ही नक्सलियों ने मौत के घाट उतार दिया, आरोप लगाया पुलिस की मुखबिरी करने का ऐसी कई महिला नक्सली हैं जो अब अत्मसमर्पण कर समाज के मुख्य धारा में लौट गई हैं।
नक्सली महिला कैसे बनीं दंतेश्वरी महिला फाइटर :
अब पूर्व महिला नक्सलियों की 36 लोगों की एक टीम बनाई गई है जिसे दंतेश्वरी महिला फाइटर के नाम से जाना जाता है पुरुष जवानों के साथ अब महिला फाइटर भी नक्सल ऑपरेशन में भाग ले रही है, जंगलों में सर्चिंग के दौरान इन्होने अब तक कई मुठभेड़ों में नक्सलियों के साथ आमना-सामना किया और मुठभेड़ में कई नक्सलियों को मार भी गिराया है महिला कमांडो का साफ कहना है कि अब अगर नक्सली हमारे जवान भाइयों पर एक गोली चलाएंगो, तो हम उसका 100 गोलियों से जवाब देंगे हम हमारे भाइयों को कुछ नहीं होने देंगे।
ऐसे ही आत्म समर्पण करने वाली महिला नक्सलियों से तैयार सुपर 36 महिला कमांडो गणतंत्र दिवस पर जिले के मुख्य समारोह में तिरंगे को सलामी दी, एवं वह सभी पुलिस और स्कूली बच्चों के अन्य टुकड़ियों के साथ मुख्य समारोह के परेड का हिस्सा भी रही डीएसपी दिनेश्वरी नंद का कहना है कि डीआरजी की महिला कमांडो से फोर्स को काफी लाभ मिला है जो कभी तिरंगे का विरोध करती थीं, आज वह महिला नक्सली समर्पण के बाद अब तिरंगे को सलाम करती हैं ऐसी कमांडो की टुकड़ी गणतंत्र दिवस पर जिले के मुख्य समारोह परेड का हिस्सा बन रही, यह बड़े गर्व की बात है।