सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का फैसला सुनाया
(देश):- भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण कदम सुप्रीम कोर्ट का यह
फैसला सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार के द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त
करने के फैसले को सही ठहराया है। इस अद्वितीय निर्णय के लिए
सुप्रीम कोर्ट ने योजना की जाने वाली प्रक्रिया को चार साल,चार माह
और छह दिन की मेहनत और विचार-विमर्श के बाद पूर्ण किया।
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सोमवार को फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह दावा किया कि
अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था, जो नागरिकता के
साथ-साथ राष्ट्रीय एकता को भी प्रभावित कर रहा था। कोर्ट ने
यह भी माना कि यह फैसला देश के लिए समृद्धि की दिशा में है
और समर्थन के साथ किया गया है। इस निर्णय के परिणामस्वरूप
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख क्षेत्रों को भी अनुसंधान और विकास के
मामले में अधिक स्वतंत्रता मिलेगी, जिससे इस क्षेत्र के लोगों को
स्थायी समाधान और सुरक्षा मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला
देशवासियों के बीच में सामंजस्य एवं एकता को बढ़ावा देगा और विभिन्न क्षेत्रों में एक सशक्त भारत की दिशा में एक नया कदम साबित होगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह कहा कि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था और इसका समापन किया जा सकता है। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि इस फैसले के बाद कश्मीर में एक समरस स्थिति बन सकती है और लोगों को समान अधिकार मिलेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2018 में जम्मू-कश्मीर में लगाए गए राष्ट्रपति शासन की वैधता पर फैसला देने से इनकार कर दिया।
SC ने कहा कि इसे याचिकाकर्ता द्वारा विशेष रूप से चुनौती नहीं दी गई थी।
यह फैसला भारतीय समाज में बड़ी चर्चाओं का कारण बना है,
जिसने विभिन्न धार्मिक और सामाजिक समूहों के बीच विभाजन को तेजी से बढ़ाया था। इस फैसले के बाद, सरकार को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि कश्मीर में एक सकारात्मक परिवर्तन हो और सभी नागरिकों को समानता का अधिकार मिले।
सोमवार को, भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की प्रक्रिया को सही ठहराया, जिससे यह पहली बार हो रहा है कि यह अनुच्छेद, जिसने कश्मीर को विशेष रूप से स्वायत्ता प्रदान की थी, ने 370 दिनों या 4 साल, 4 महीने, 6 दिनों बाद आज तक बचा रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा, ‘मुझे लगता है कि निर्णय सरल होना चाहिए कि 5 अगस्त, 2019 को जो कुछ भी किया गया वह अवैध,असंवैधानिक, जम्मू-कश्मीर और यहां के लोगों से किए गए वादों के खिलाफ था।’