यूपी शिक्षक भर्ती प्रक्रिया आरक्षण नियमावली पर उठा बवाल भाजपा घेरे में

यह अनियमितता लगभग 19 हज़ार पदों से जुड़ी है और मूल सूची न बनाना इस पूरी भर्ती प्रक्रिया को संदेह के घेरे में लाता है। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के बाद जिन 6,800 अभ्यर्थियों की लिस्ट निकाली गई, वह भी दो वर्षों से नियुक्ति के लिए संघर्ष कर रहे हैं। आरक्षण प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ एक गंभीर विषय है।

(देश UP teacher):- यूपी शिक्षक भर्ती प्रक्रिया आरक्षण नियमावली पर उठा बवाल भाजपा घेरे में यूपी में 69,000 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पर उठे आरोपों ने भाजपा सरकार को आरक्षण विरोधी मानसिकता के आरोपों के शिकार बना दिया है। इस विवाद के पीछे का कारण है बेसिक शिक्षा नियमावली, 1981 और आरक्षण नियमावली,1994 के ताक को ध्यान में न रखकर उन्होंने दलितों और पिछड़ों के अधिकारों को कम किया। यहां उठी अनियमितताओं का मुख्य संदर्भ है कि OBC वर्ग को 27% की जगह केवल 3.86% आरक्षण मिला और SC वर्ग को 21% की जगह 16.6% आरक्षण मिला। यह अनियमितता लगभग 19,000 पदों से जुड़ी है

और इसका परिणाम है कि मूल सूची न बनाने से प्रक्रिया में अव्यवस्था हो गई है।

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यहां बात यहां तक पहुँच गई है कि इस भर्ती प्रक्रिया को संदेह के घेरे में लाने की है।

पीड़ित छात्रों ने इस मुद्दे को उठाया है और उनके संदेहों को बढ़ावा दिया जा रहा है।

इस विवाद में, सरकार के प्रतिनिधियों और प्रतिभागियों के बीच तनाव बढ़ गया है।

विभिन्न समाजसेवी संगठनों और राजनीतिक दलों ने इस मामले में जांच की मांग की है।

इस संदर्भ में, राज्य सरकार को शीघ्र उचित कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि विवाद को

समाधान किया जा सके और भर्ती प्रक्रिया को पुनः संचालित किया जा सके। बेसिक शिक्षा नियमावली,1981 और आरक्षण नियमावली, 1994 को ताक पर रख कर भाजपा सरकार ने दलितों और पिछड़ों का हक़ उनसे छीन लिया। पीड़ित छात्र मुझसे मिले और बताया कि इस भर्ती में OBC वर्ग को 27% की जगह मात्र 3.86% आरक्षण मिला और SC वर्ग को 21% की जगह मात्र 16.6% आरक्षण मिला। अपने हक़ की लड़ाई लड़ रहे इन युवाओं की पूरे मामले की जांच हो और इन्हें न्याय मिले।

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