खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने आज मैनपाट विकासखंड के कमलेश्वरपुर में वन धन योजना के तहत लघु वनोपज गोदाम तथा जलजली में डे-शेल्टर, इको कुकिंग सेंटर, चेनलिंक फेंसिंग, टेंट प्लेटफार्म, बैठक व्यवस्था एवं बैम्बू सेटम का लोकार्पण किया।
इस मौक पर मंत्री भगत ने कहा कि हमारा सबसे बड़ा कोशिश होनी चाहिए कि मैनपाट हरा-भरा रहे, जंगल बचा रहे ताकि पर्यटक यहां के हरियाली से आकर्षित होकर
यह भी पढे =मुख्यमंत्री-वन क्षेत्रों में उद्यमियों को मदद
घूमने आए। मैनपाट को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान देने की कवायद शुरू हो गई है। नेशनल टूरिज्म सर्किट में शामिल करने हेतु प्रस्ताव प्रेषित किया जा
चुका है। शीघ्र ही मैनपाट नेशनल टूरिज्म सर्किट से जुड़ जाएगा। उन्होंने कहा कि नेशनल टूरिज्म सर्किट के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय टूरिज्म सर्किट से जोड़ने के लिए भी प्रस्ताव तैयार
किया जा रहा है ताकि यहां बुद्धिज्म सर्किट बने तो अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक श्रीलंका, भूटान, जापान आदि देशों से यहां आएं और यहां की सुंदरता और संस्कृति को देखकर आकर्षित हो। उन्होंने कहा कि मैनपाट में पर्यटकों की सुविधा को ध्यान में रखकर हवाई पट्टी का भी निर्माण कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि सीतापुर के सभी सड़को का डामरीकरण के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। इस अवसर पर जनपद पंचायत अध्यक्ष उर्मिला खेस सहित ग्रामीणजन उपस्थित थे।
{गोबर बेचकर रामनाथ ने कमाया 27 हजार रूपए : उन्नत नस्ल की गाय व बछिया खरीदकर बढ़ाएंगे दुग्ध व्यवसाय को}
छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी ‘गोधन न्याय योजना’ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में मददगार साबित हो रही है। गोबर बेचने से मिले रूपये को कोई अपनी खेती-किसानी में लगा रहा है, तो कोई उससे पशुधन खरीद कर दुग्ध व्यवसाय को मजबूती प्रदान करने
में लगा हुआ है। इसी कड़ी में कांकेर जिले के चारामा विकासखण्ड के ग्राम आंवरी के भूमिहीन किसान रामनाथ ठेठवार ने भी गोबर बेचने से मिले 27 हजार रूपये से दो
उन्नत नस्ल की गाय व बछिया खरीदी है, जिससे वे अपने दुग्ध व्यवसाय को बढ़ायेंगे। रामनाथ ने बताया कि उनके पास देशी नस्ल की गाय थी, जिसे कृत्रिम गर्भधान कराया
गया और उससे उन्नत नस्ल की बछिया पैदा हुई जो अब गाय बनकर दूध दे रही है। जिससे उन्होंने अपना दुग्ध व्यवसाय शुरू किया जो उनके परिवार के जीवन-यापन का एकमात्र साधन है।
पशुपालक रामनाथ ठेठवार को दूध के विक्रय से प्रतिमाह लगभग 4 से 5 हजार रूपये की शुद्ध आमदनी हो जाती है। उन्होंने बताया कि उनके पास वर्तमान में उन्नत नस्ल के 19 पशुधन है, जिसके गोबर को आंवरी के गौठान में बेचने से 27 हजार रूपये की आय हुई। इन्हीं पैसों से उन्होंने ‘साहीवाल नस्ल’ की एक गाय और बछिया खरीदी। गौरतलब है कि कांकेर जिले में 4 हजार 497 पशुपालकों के द्वारा गोबर बेचकर एक करोड़ 30 लाख 66 हजार रूपए की आमदनी हुई है, जिसका उपयोग वे अपने जीवन स्तर को संवारने और बेहतर करने में लगा रहे हैं।