(Iran preparing विदेश) :- ईरान 29 अक्टूबर को, इजरायली सेना ने एक बार फिर ईरान को कड़ी चेतावनी दी, जो दोनों देशों के बीच गहराते तनाव की ओर संकेत करती है। इस तनाव का आरंभ 1982 में हुआ था जब लेबनान युद्ध के दौरान ईरान ने लेबनानी शिया और फिलिस्तीनी समूहों का समर्थन किया था। इसके बाद से दोनों देशों के बीच शत्रुता बढ़ती गई, जिसमें प्रमुख मुद्दा ईरान की परमाणु परियोजना और सीरियाई गृहयुद्ध में उनका आपसी टकराव रहा है।
हाल ही में, अमेरिका को एक गुप्त जानकारी प्राप्त हुई है
भारत के शेयर बाजार में शुरुआत से ही सबसे बड़े आईपीओ का खिताब हासिल
जिसमें बताया गया है कि ईरान ने इजरायल पर हमला
करने की योजना बनाई है।रिपोर्टों के अनुसार, ईरान द्वारा
4,000 मिसाइलें इजरायल पर दागने की तैयारी की जा रही है,
जिससे इजरायल को गंभीर क्षति पहुँचाने की आशंका है। यह
हमला किसी भी समय किया जा सकता है, जिससे क्षेत्र में
युद्ध का खतरा और बढ़ गया है।
इजरायल की ओर से जारी चेतावनियों के बावजूद, ईरान अपनी रणनीति में बदलाव के संकेत नहीं दे रहा है। इस स्थिति में अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो जाती है,क्योंकि उनका हस्तक्षेप क्षेत्रीय स्थिरता के लिए आवश्यक हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार,अगर तनाव यथावत रहा तो यह केवल इजरायल-ईरान तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि पूरे मध्य पूर्व की शांति को खतरे में डाल सकता है। ईरान की ओर से इस दावे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है,लेकिन यह तनाव क्षेत्रीय स्थिरता के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। इजरायल और ईरान के बीच गहराता यह संघर्ष मध्य-पूर्व में और अधिक अशांति फैला सकता है,जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी चिंतित है
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