(देश MANREGA) :- मजदूरों के सामने बच्चे पालने का संकट सरकार को नही चिंता प्रियंका गाँधी समाचार के अनुसार, राज्यों को 1 फरवरी तक 16,000 करोड़ रुपये का मनरेगा भुगतान बकाया है। इससे कई मजदूरों को बच्चों का पालना करने में संकट का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन सरकार इसे गंभीरता से नहीं ले रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले मनरेगा को कांग्रेस की “असफलता का स्मारक” बताया और उसे बंद करने की कोशिश की थी। लेकिन बजट में आवंटित राशि 2023-24 के संशोधित बजट के बराबर है, जो बकाया व अन्य खर्चों के बाद सिर्फ 25 दिनों के रोजगार के लिए उपलब्ध होगी। मनरेगा योजना में प्रियंका गाँधी ने 100 दिनों का रोजगार का जिक्र किया है।
प्रधानमंत्री ने कहा देश के उपक्रमों को पहले ही बेच कर किया नष्ट
इस परिस्थिति में, सरकार को उचित कदम उठाने की आवश्यकता है।
मनरेगा भुगतान को समय पर करने और मजदूरों को उनकी
आवश्यकताओं के अनुसार सहायता प्रदान करने के लिए सरकार
को कड़ी मेहनत करनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने पहले इस योजना
को कांग्रेस की “असफलता का स्मारक” बताया था और उसे
बंद करने की कोशिश की थी।
लेकिन वास्तविकता यह है कि बजट में आवंटित धनराशि और अन्य खर्चों के बाद अभी भी लगभग 25 दिनों का रोजगार प्रदान किया जा सकता है। मनरेगा योजना के अनुसार, प्रियंका गांधी ने बताया कि इसमें 100 दिनों का रोजगार होता है, लेकिन बजट की राशि की दिशा में यह तथ्य चिंताजनक है। इससे साफ होता है कि योजना के संचालन में आई दिक्कतों के कारण,लोगों को अपने बच्चों के पालन-पोषण में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस सरकार मनरेगा लाई थी ताकि आम ग्रामीणों, गरीबों, मजदूरों के हाथ में पैसा आए और उनका घर चले।बीजेपी सरकार मनरेगा को कमजोर करके देश के मजदूरों के साथ अन्याय कर रही है।