Crude के दामो में भरी गिरावट के बाद भी पेट्रोल एवं डीज़ल के दाम स्थिर हैं ?

आम नागरिकों के लिए अत्यधिक बोझ बना रहा है। इससे आर्थिक मंदी और महँगाई की मुद्दे उठ रहे हैं, जिससे जनता की जीवनशैली पर असर पड़ रहा है।

(देश अर्थव्यवस्था):- Crude के दामो में भरी गिरावट के बाद भी पेट्रोल एवं डीज़ल के दाम स्थिर हैं ?कच्चे तेल के दामों में लुढ़कने के बावजूद, रेट में कोई लगाम नहीं होने के कारण जनता को भारी बोझ झेलना पड़ रहा है। केंद्रीय मंत्री ने इस सम्बंध में तेल कंपनियों से दाम कम करने के बारे में किसी भी चर्चा की जानकारी नहीं होने की बात कही है। तेल कंपनियां हर लीटर पेट्रोल पर जनता से ₹8 से ₹10और डीज़ल पर ₹3 से ₹4 मुनाफ़ा कमा रही हैं, जो कि सीधे तौर पर उच्च मूल्यों का प्रतिफल है। यह जनता के लिए आर्थिक असहजता का कारण बन रहा है और उनकी आजीविका पर दबाव बढ़ा रहा है।

आम नागरिकों के लिए अत्यधिक बोझ बना रहा है।

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इससे आर्थिक मंदी और महँगाई की मुद्दे उठ रहे हैं,

जिससे जनता की जीवनशैली पर असर पड़ रहा है।

सके बावजूद, केंद्र सरकार ने तेल कंपनियों से कोई

कड़ी कार्रवाई की बजाय, जनता की सुरक्षा के लिए

कोई कदम नहीं उठाया है।तेल के दामों में कमी करना

जनता के लाभ के लिए आवश्यक है ताकि उनकी

जीवनशैली पर कोई असर ना पड़े।

इस तरह की बड़ी मुनाफाखोरी ने 50 सालों में सबसे कम हुई’जनता की बचत’का हिसाब बना दिया है,जिससे सामाजिक और आर्थिक असमानता और बढ़ रही है। इससे निराश जनता के बीच आक्रोश बढ़ रहा है और सरकार से इस मुद्दे पर स्थिति सुधारने की मांग हो रही है।जनता की बचत’का हिसाब रखने के बावजूद, सरकार का कोई भी प्रयास इस समस्या को हल करने की दिशा में साबित नहीं हो रहा है।जनता चाहती है कि सरकार तेल कंपनियों से बातचीत करें और उनसे दामों में कमी करने की मांग करें,ताकि व्यक्तिगत और सामाजिक असुविधाओं से बचा जा सके।

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