केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल में 6,000 पद रिक्त

केंद्रीय शिक्षा मंत्री उच्च शैक्षणिक संस्थान सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की दिशा में मुख्य उत्प्रेरक का काम करतेहैं-केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ एक बैठक की

(दिल्ली) :- केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल में 6,000 पद रिक्त मंत्री,धर्मेंद्र प्रधान ने आज वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम सेकेंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ एक बैठक की।शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार, उच्च शिक्षा सचिव,अमितखरे,यूजीसी के चेयरमैन,प्रो डी पी सिंह के साथ-साथ शिक्षा मंत्रालय और यूजीसी के वरिष्ठ अधिकारी भी इस बैठक में शामिल हुए। प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि हमारे विश्वविद्यालय रचनात्मकता, नवाचार और अवसरों को पोषणप्रदान कर रहे हैं।नई शिक्षा नीति- 2020 भारत को उभरती हुई नई वैश्विकव्यवस्था में शीर्षस्थानपर रखने की दिशा मेंमहत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और भारत के भाग्य कासंरक्षक होने के रूप में, हमारे विश्वविद्यालयों को एनईपी में उल्लेख किए गए जिम्मेदारियों का पालनकरना चाहिए।

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उन्होंने शिक्षा को ज्यादा से ज्यादा जीवंत और समग्र

बनाने एवं एनईपी के माध्यम से भारत को ज्ञान की

महाशक्ति के रूप में स्थापित करने पर बल दिया।

प्रधान ने कहा कि हमारे उच्च शैक्षणिक संस्थान

सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और

महत्वाकांक्षाओं तथा राष्ट्रीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए

प्रमुख उत्प्रेरक हैं। उन्होंनेअपील किया कि विश्वविद्यालयों

को भारतीय भाषाओं में सीखने और भारत की सांस्कृतिक

विरासत को लोकप्रिय बनाने और उसे बढ़ावा देने की दिशा

में काम करना चाहिए।केंद्रीय विश्वविद्यालयों को अक्तूबर, 2021 तक 6,000 रिक्त पदों को भरने के लिए मिशन-मोड पर काम करने के लिए प्रोत्साहित किया।उन्होंने पूर्व छात्रों को सहायक निधिप्रदान करने के लिए एक संरचना तैयार करने का आग्रह किया।केंद्रीय विश्वविद्यालयों की सर्वोत्तम प्रथाओं और कई महत्वपूर्ण बातोंके बारे में जानकरी प्राप्त होने परप्रसन्नता व्यक्त की, जिसमें सामान्य एवंआरक्षित रिक्तियों को भरना, कोविड-19 के दौरान शिक्षा, ऑनलाइन अध्यापनऔर एनईपी का कार्यान्वयित होनेवाली स्थिति भी शामिल है।उन्‍होंने विश्वविद्यालयों से भारत को पूर्ण रूपसे साक्षर बनाने के लिए रणनीतियां बनाने का आह्वान किया, साथ ही आजादी का अमृत महोत्सव के प्रतीक के रूप में

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