उद्यानों में गोठानों में निर्मित जैविक खाद का उपयोग किया जाएगा। इस पहल से नगरीय निकाय अंतर्गत आने वाले लगभग 506 उद्यानों में हरियाली आएगी। लोगों को शुद्ध आक्सीजन मिलेगा और रासायनिक खाद में खर्च होने वाले पैसे भी बचेंगे। गोठानों के माध्यम से जैविक खाद निर्माण को प्रोत्साहन मिलने के साथ स्व-सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार के साथ ज्यादा आमदनी मिलेगी और गौ संरक्षण के साथ पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा।
नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ डहरिया की इस अनूठी पहल से शहरी क्षेत्रों की हरियाली और आबां-हवा बदल जाएगी। नगरीय प्रशासन अंतर्गत प्रदेश में कुल 166 निकाय है। नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायतों में कुल 506 उद्यान है। इन उद्यानों में शहर की हरियाली, सौंदर्यीकरण बढ़ाने वाले पौधों के अतिरिक्त फलदार वृक्ष भी लगे हुए हैं। इन उद्यानों से शहरवासियों को शुद्ध हवाएं भी मिलती है। चहल-कदमी के अलावा मनोरंजन की दृष्टिकोण से भी
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यह उद्यान लोगों के लिए महत्वपूर्ण है। मंत्री डॉ. डहरिया ने प्रदेश के इन सभी उद्यानों में निकाय अंतर्गत गोठानों में बनाए जा रहे खाद का इस्तेमाल को बढ़ावा देने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी के माध्यम से ग्रामीण संस्कृति को पुनर्जीवित करने के साथ आर्थिक समृद्धि का नया द्वार खोला गया है। उनके अनुरूप ही प्रदेश के सभी निकायों में 377 गोठानों की स्वीकृति प्रदान की गई है। गोठानों और गोबर खरीदी केंद्र के माध्यम से गोबर से वर्मी कम्पोस्ट, गौ-काष्ठ, कण्डे आदि बनाए जा रहे हैं।
अधिकांश गोठानों में स्थानीय महिलाओं को जोड़कर स्व-सहायता समूह का गठन किया गया है। इन स्व-सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं गोठान में गोबर खाद सहित अन्य उत्पादों का निर्माण कर रही है। उद्यानों में गोठानों के खाद का इस्तेमाल किए जाने से खाद निर्माण में लगी महिलाओं को प्रोत्साहन मिलने के साथ उनकी आमदनी भी बढ़ेगी। जो निकाय उद्यानों में पौधों के लिए रासायनिक या अन्य खाद बाहर से खरीदते थे, उन्हें भी पास के गोठान से जैविक खाद मिल जाएगा। खास बात यह भी है कि रासायनिक खाद के इस्तेमाल से पर्यावरण का जो खतरा बना रहता था, वह भी लगभग दूर हो जाएगा। गौरतलब है कि नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. डहरिया ने कुछ दिनों पहले ही नगरीय निकाय क्षेत्रों में ठण्ड के दिनों जलाए जाने वाले अलाव में गोबर से निर्मित गौ-काष्ठ और कण्डे का इस्तेमाल करने के निर्देश दिए हैं, साथ ही उन्होंने निकाय क्षेत्र में होने वाले दाह संस्कार में भी गौ-काष्ठ का उपयोग प्राथमिकता से करने के कहा है। मंत्री डॉ. डहरिया की इस तरह की नई पहल से प्रदेश में बचत के साथ हरियाली, लोगों को शुद्ध आक्सीजन,पर्यावरण सरंक्षण को बढ़ावा मिलना लाजिमी हैं।