(दिल्ली):- विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वैज्ञानिक ने कहा है कि कोवेक्सिन और जाइकोव-डी के मानव परीक्षण की मंज़ूरी मिलने से कोरोना के अंत की शुरुआत हो गयी है।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में भारत वैक्सीन उत्पादन में दुनिया भर में एक बड़ा केंद्र बनकर उभरा है, और यूनिसेफ को टीकों की आपूर्ति में 60 प्रतिशत भारतीय निर्माताओं की ओर से की जाती है।
स्वास्थ्य मंत्रालय (Ministry of Health)ने कहा है कि देश में उपचार (the treatment)करा रहे रोगियों की तुलना में स्वस्थ होने वाले रोगियों की संख्या एक लाख 64 हजार से भी अधिक है। स्वस्थ होने की दर बढकर 60.77 प्रतिशत हो गई है। मंत्रालय ने कहा कि दो लाख 44 हजार से अधिक कोविड रोगियों (Covid patients)का इलाज चल रहा है। देश में कोविड जांच (Covid test) के लिए प्रयोगशालाओं (Laboratories) की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।
वैज्ञनिकों ने कहा कि नोवेल कोरोना वायरस का टीका दुनिया में कहीं भी बन सकता है, लेकिन बिना भारतीय निर्माताओं की सहभागिता के आवश्यक मात्रा में वैक्सीन का उत्पादन संभव नहीं है। इस समय दुनिया भर में 140 से ज्यादा टीकों पर काम चल रहा है। इनमें से 11 वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल के स्तर पर हैं। देशभर में एक हजार एक सौ प्रयोगशालाएं कोविड जांच का काम कर रही हैं जिनमें 786 सरकारी और 314 निजी प्रयोगशालाएं हैं।