सहशस्त्री, मर्मी, प्रभु, षड, धनी, डॉक्टर, कवि, भानष, गुणी और संत इन 10 लोगों का कभी भी विरोध नहीं करना चाहिए। क्रोधित होकर शस्त्र उठा कर खड़े व्यक्ति का विरोध करने पर जान भी जा सकती है। मर्मी की भी आलोचना नहीं करनी चाहिए। उसी प्रभाव प्रकार प्रभु अर्थात मालिक का विरोध नहीं करना चाहिए वरना नौकरी जा सकती है। कई बार लगता है कि कई नौकरी मिल जाएगी लेकिन नौकरी जाने के बाद पता चलता है कि नौकरी कैसे मिलती है। सुरभि जन जागरण सेवा समिति के तत्वाधान में रायपुर के बीटीआई मैदान में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा का वाचन करते हुए आचार्य कौशिक जी महाराज ने कहा कि हर व्यक्ति को खड़ा करने में किसी न किसी का हाथ होता है वह आधार में होता है उनका सदैव आदर करना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति ने बेटी का रिश्ता अच्छे घर में लगवाया हो या अच्छी बहू दिलवाई हो तो उसे भूलना नहीं चाहिए। षड अर्थात मूर्ख का विरोध करने का कोई औचित्य नहीं होता। आगे कौशिक जी महाराज ने बताया कि धनी व्यक्ति जिसने मुसीबत में आपकी मदद की हो उसका सदैव आदर करना चाहिए। गुरु या जिस भी व्यक्ति से अच्छा ज्ञान मिला हो उसे भुला मत दीजिए। सीता स्वयंवर के समय राजा दशरथ ने राम से पूछा कि तुम्हारे पास ऐसी कौन सी वस्तु थी जिससे तुम धनुष को तोड़ने में सफल हो गए और बाकी राजा नहीं तोड़ पाए । भगवान राम ने इसका सटीक उत्तर दिया- पिताजी, मेरे पास मेरे गुरुदेव अर्थात विश्वामित्र थे जबकि बाकी राजाओं के पास गुरु नहीं थे इसलिए मैं यह धनुष तोड़ पाया। उसी प्रकार प्राणों की रक्षा करने वाले डॉक्टर, कवि, भानष अर्थात छौहर गाने वाले,गुणी और संतों की कभी भी आलोचना नहीं करनी चाहिए। आज की कथा में कंस वध एवं कृष्ण- रुक्मणी विवाह प्रसंग ने श्रोताओं का मन मोह लिया और वे झूम उठे। 26 जनवरी से 3 फरवरी तक आयोजित इस श्रीमद् भागवत के अष्टम दिवस की कथा श्रवण करने छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत, विधायक कुलदीप जुनेजा, रायपुर नगर निगम के महापौर एजाज ढेबर, दूधाधारी मंदिर के महंत रामसुंदर दास सहित बड़ी संख्या में धर्मानुरागी पहुंचे थे।