राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा प्रदेश के चौक चौराहों पर बाल भिक्षावृत्ति रोकने और इसमें लिप्त बच्चों के पुनर्वास के लिए मुहिम चलाई जाएगी। इस संबंध में आयोग की अध्यक्ष प्रभा दुबे ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पुलिस विभाग, सभी
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जिलों के विशेष किशोर पुलिस इकाई, बाल कल्याण समिति, बाल संरक्षण इकाई व महिला बाल विकास के अधिकारियों
से चर्चा की और कार्यवाही के लिए मार्गदर्शन व निर्देश दिए। दुबे ने बच्चों से संबंधित विभिन्न मामलों की समीक्षा करते हुए कहा कि बच्चों से भिक्षावृत्ति कराने के मामलों
का बढ़ना चिंताजनक है। इस हेतु समेकित बाल संरक्षण इकाई, बाल कल्याण समिति, पुलिस प्रशासन, चाइल्ड हेल्प लाइन, श्रम विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग
को चौक चौराहों का चिन्हांकन कर विशेष कार्ययोजना बनानी होगी। इसके साथ भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों के पुनर्वास की व्यवस्था करते हुए उन्हें मुख्य धारा में लाना होगा।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में की गई कार्यवाही को प्रमुखता से आम जनता तक पहुंचाएं। बाल भिक्षावृत्ति रोकने में बाल अधिकार संरक्षण आयोग भी उपस्थित रहेगा और हर प्रकार से सहायता करेगा। दुबे ने पोक्सो एक्ट के तहत प्रकरणों में की गई कार्यवाही और राहत, चिकित्सकीय सहायता व मुआवजा राशि देने तथा अन्य बिंदुओं पर भी समीक्षा की। कॉन्फ्रेंसिंग में पुलिस मुख्यालय से ए आई जी सुश्री मिलिना कुर्रे, आयोग के सचिव प्रतीक खरे, सभी जिलों के विशेष किशोर पुलिस इकाई के प्रभारी, बाल कल्याण समिति ,बाल संरक्षण इकाई व महिला बाल विकास के अधिकारी शामिल हुए।
{छत्तीसगढ़ उद्यानिकी ‘‘लोगो‘‘ हेतु 04 दिसम्बर तक प्रस्ताव आमंत्रित}
संचालनालय, उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी छत्तीसगढ़ द्वारा विभाग के नए ‘‘लोगो‘‘ के लिए 04 दिसम्बर तक जन सामान्य से प्रस्ताव आमंत्रित किया गया है।
‘‘लोगो‘‘ के सुझाव का कलर प्रिन्ट आउट सीलबंद लिफाफे में संचालक, उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी विभागाध्यक्ष कार्यालय, इंद्रावती भवन खण्ड-2, चौथा-माला
नवा रायपुर, अटल नगर के पते पर निर्धारित तिथि संध्या 4.30 बजे तक पोस्ट/स्पीड पोस्ट/कुरियर के माध्यम से भेजा जाना चाहिए। जिनका लोगो उत्कृष्ट पाया
जाएगा उन्हें विभाग द्वारा पुरस्कृत एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया जाएगा। गौरतलब है कि उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी विभाग द्वारा फल, सब्जी, मसाला, पुष्प, औषधि एवं सुगंधित फसलों की खेती तथा इसके प्रसंस्करण से संबंधित गतिविधियों का संचालन किया जाता है।