भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर शंशय

रायपुर – छत्तीसगढ़ में राजनीति के लिहाज से आगामी कुछ दिनों में बड़ा परिवर्तन देखने को मिलेगा ! क्योंकि विपक्षी भाजपा को नया प्रदेश अध्यक्ष मिलने जा रहा है ! जिस पर सत्ताधारी कांग्रेस की भी निगाह लगी हुई है ! मौजूदा दौर में प्रदेश सरकार जिस तरह से आक्रमक राजनीति को हवा दे रही है उससे भाजपा के हौसले पस्त नजर आ रहे हैं ! 15 साल सत्ता सुख भोगने के बाद मिली करारी हार के साल भर बाद भी लग नहीं रहा है कि,भाजपा के कार्यकर्ता इससे उबर पाए हैं, क्योंकि बीते एक साल में विपक्ष की राजनीति वाला तेवर नजर नहीं आ रहा है !

20 से पहले नया प्रदेश अध्यक्ष

इस विषम परिस्थिति से उबारने पार्टी का शीर्ष नेतृत्व आगामी 20 जनवरी से पहले नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम को आम सहमती दिलवाने में जुटा है ! उल्लेखनीय है कि,20 जनवरी को राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होना है इसलिए पार्टी इस तारीख से पहले छत्तीसगढ़ को नया प्रदेश अध्यक्ष देना चाहती है ! जो मौजूदा हालात में कार्यकर्ताओं में जोश और उत्साह भर सके !

बस नाम की घोषणा बाकी है 

वैसे तो फ़िलहाल पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए फोन पर राय मांगी जा रही है। लेकिन मोटे तौर पर आम सहमती से अध्यक्ष बनवाने की नीति को अंतिम रूप देने की तैयारी चल रही है ! Rashtrabodh.com को पार्टी के बेहद जिम्मेदार नेता ने बताया कि, छत्तीसगढ़ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चुनाव के प्रभारी राष्ट्रीय महामंत्री भूपेंद्र यादव और यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या एक दौर की चर्चा कर चुके हैं। नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम को अंतिम रूप देने से पहले पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की राय जानी जा रही है। जिसमें अब तक सांसदों, विधायकों और अनेक जिम्मेदार पदाधिकारियों से चर्चा की गई है।इसके लिए सीएए पर चर्चा के बहाने भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अविनाश खन्ना और महेश गिरी ने अनेक पदाधिकारियों से संगठन सन्दर्भ में चर्चा कर उनकी राय ली। उनकी इस राय को पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के सामने रखा जा चूका है !

इस आधार पर तय होगा नया प्रदेश अध्यक्ष

छत्तीसगढ़ में लगभग 52 प्रतिशत ओबीसी और 32 प्रतिशत आदिवासी जनसंख्या होने का दावा किया जाता है ! ऐसे में पार्टी नए प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के लिए जातिगत समीकरण को नजरअंदाज करने की भूल नहीं कर सकती । ऐसे में केंद्रीय संगठन की पहली पसंद बताए जा रहे सांसद विजय बघेल के नाम पर आम सहमती की तैयारी की खबर है !

सांसद विजय बघेल ही क्यों ?

कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बनाकर ओबीसी वर्ग को विशेष महत्त्व दिया है ! जबकि सांसद विजय बघेल भी ओबीसी वर्ग से ही आते हैं और सीएम के करीबी रिश्तेदार भी हैं। इसके अलावा उन्होंने जिस विषम परिस्थिति में दुर्ग लोकसभा से लगभग 4 लाख रेकॉर्ड वोटों से चुनाव जीता उससे उनका संगठन कौशल पार्टी के नजरों में आ गया ! उल्लेखनीय है कि, 2014 में मोदी लहर के बावजूद भाजपा की सरोज पाण्डेय को हराकर कांग्रेस ने दुर्ग लोकसभा से जीत दर्ज की थी ! उसी सीट पर विजय बघेल ने रेकॉर्ड वोटों से जीत तब हासिल की जब तीनों स्थानीय जिला इकाईयों भिलाई,दुर्ग और बेमेतरा से आपेक्षित सहयोग नहीं दे रहे थे !  इस जीत ने पूर्व संसदीय सचिव और निर्दलीय पालिका अध्यक्ष रह चुके विजय बघेल के संगठन कौशल का लोहा मनवा दिया ! इसके अलावा वहां खुद सीएम भूपेश बघेल के अलावा गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू,मंत्री रविन्द्र चौबे और मंत्री रूद्र गुरु ने अपने निर्वाचन वाली इस लोकसभा सीट में पूरी ताकत झोंक दी थी ! ऐसी विषम परिस्थितियों में 4 लाख वोटों से पार्टी को जीत दिलवाकर विजय बघेल ने अपनी व्यावहारिकता और बेहतरीन संगठन कौशल से साबित कर दिखाया ! कई मौकों पर सीएम भूपेश बघेल से खुली अदावत करते हुए विजय बघेल ने 2008  में आक्रमक शैली से विधानसभा चुनाव लड़ते हुए उन्हें परास्त किया था !

यह कारण है कि, मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति में  विजय बघेल की इन खूबियों और उपलब्धियों को ध्यान में रखते हुए पार्टी का शीर्ष नेतृत्व उन्हें छत्तीसगढ़ का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाने का मन बना चूका है ! लेकिन वर्षों से प्रदेश संगठन में अपनी गहरी पैठ जमा चुके कुछ पुराने दिग्गज नए नामों को भी आगे कर रहे हैं ! 

अन्य नामों पर भी चर्चा 

छत्तीसगढ़ भाजपा संगठन में महामंत्री और राजनांदगांव से सांसद संतोष पाण्डेय का भी नाम पिछले कुछ दिनों में अचानक प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में शामिल हुआ है ! उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह का बेहद करीबी माना जाता है ! साथ ही उनकी चर्चा संगठन के लिए समर्पित रहने वाले, बेहद मृदु भाषी और व्यावहारिक व्यक्तित्व के रूप में होती है ! किन्तु ओबीसी या आदिवासी वर्ग से नहीं आने के कारण उनके प्रदेश अध्यक्ष बनने की सम्भावना कम ही बताई जा रही है ! जबकि कई आदिवासी नामों पर भी चर्चा होने के बाद पुरानी व्यवस्था से जुड़े कुछ दिग्गज विक्रम उसेंडी के नाम को भी आगे बढ़ाने के कोशिश में लगे हैं ! किन्तु इस पर भी आम सहमती नहीं बनती नजर आ रही है !

बस आजकल में….

भाजपा संगठन चुनाव की शुरुआत 11 सितंबर से हुई। 11 से 30 सितंबर तक बूथ कमेटी, 11 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक मंडल और 11 नवंबर से 30 नवंबर तक जिलाध्यक्षों का चुनाव हुआ। अभी प्रदेश के 11 जिलों में जिलाध्यक्षों का चुनाव नहीं हो पाया है। जबकि 15 दिसबंर तक नए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव भी हर हाल में कर लेना था, लेकिन नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के कारण देर हो गई। ऐसी स्थिति में आने वाले 2-3 दिन प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के लिहाज से निर्णायक होने जा रहे हैं ! इसके बाद कभी भी 20 जनवरी से पहले नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा की औपचारिकता पूरी कर ली जाएगी !

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