कोरोनोवायरस से निपटने के लिए चीन 6 दिनों के भीतर अस्पताल बनाने का काम शुरू किया

वुहान/चीन:- चीन में फैले कोरोनावायरस से पूरी दुनिया चिंता में है। जहां चीन में वुहान शहर को पूरी तरह बंद कर दिया गया है और वहां रहने वाले लोगों में वायरस के संक्रमण की जांच की जा रही है। वहीं, भारत में भी इस वायरस के संदिग्ध मरीजों का इलाज किया जा रहा है।
दूसरी ओर चीन ने कोरोनावायरस से निपटने के लिए छह दिनों के भीतर एक अस्पताल बनाने का काम जारी है, ताकि समय रहते मरीजों की इलाज किया जा सके। चीन में जहां इस वायरस के 4000 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं और अब तक 106 लोगों की मौत हो चुकी हैं।
बताया गया है कि एक करोड़ दस लाख की आबादी वाले वुहान शहर से ही इस जानलेवा वायरस का फैलाव शुरू हुआ। वुहान में अस्पतालों की स्थिति फिलहाल चिंताजनक हैं, वहां मरीजों की लंबी कतार लगी हुई है। हालात इस कदर खराब हो चुके हैं कि दवाइयों की दुकानों पर स्टॉक खत्म हो चुके है लेकिन मांग थम नहीं रही है। इसे देखते हुए चीन सरकार ने 1000 बेड वाला अस्पताल बनाने का काम शुरू किया है।
चीनी सरकारी मीडिया द्वारा जारी किए गए वीडियो में देखा जा सकता है कि अस्पताल के लिए 25 हजार वर्ग मीटर वाले एक इलाके में खुदाई का काम शुरू हो चुका है। साल 2003 में चीन में जब सार्स वायरस फैला तो बीजिंग द्वारा इससे निपटने के लिए आनन-फानन में इसी तरह का एक अस्पताल बनाया गया था।
‘हॉवर्ड मेडिकल स्कूल’ में ‘ग्लोबल हेल्थ एंड सोशल मेडिसिन’ पढ़ाने वाली जोआन कॉफमैन ने बताया कि ये अस्पताल इस जानलेवा बीमारी के मद्देनजर बनाया जा रहा है और इसमें इस वायरस से संक्रमित लोग ही आएंगे। इस कारण यहां सुरक्षा के कड़े इंतजामों की व्यवस्था की जाएगी।

क्या छह दिन में बन पाएगा अस्पताल ?

‘काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स’ में ‘ग्लोबल हेल्थ’ के वरिष्ठ यानजोंग हुआंग ने कहा कि चीन दुनिया में बड़ी से बड़ी परियोजनाओं को जल्द से जल्द खत्म करने के लिए एक उदाहरण के तौर पर देखा जाता है। परियोजनाओं को जल्द खत्म करने में चीन का रिकॉर्ड रहा है।
उन्होंने बताया कि साल 2003 में सात दिनों के भीतर बीजिंग में अस्पताल बनाया गया था और अब शायद उसी रिकॉर्ड को तोडऩे की कोशिश की जा रही है। बीजिंग के अस्पताल की तरह वुहान का अस्पताल भी पहले से बनाई गई इमारत बनाने की चीजों (प्री-फैब्रिकेटेड मटैरियल) से बनाया जाएगा।
हुआंग ने कहा कि इस तरह के कामों को करने में चीन लाल-फीताशाही और आर्थिक रुकावटों को पार करने और संसाधन जुटाने में पूरी तरह सक्षम है। इस काम को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए देश के हर कोने से बेहतरीन इंजीनियरों को बुलाया गया है।
हुआंग ने बताया कि इंजीनियरिंग के कामों में चीन का पूरी दुनिया में दबदबा है। तेजी से गगनचुंबी इमारतें बनाने में इस देश का कोई सानी नहीं है। पश्चिमी देशों को ये बात समझने में मुश्किल होगी लेकिन ये बिल्कुल संभव चीज है। इस अस्पताल के निर्माण के बाद दवाइयों की आपूर्ति के लिए वुहान या तो अन्य अस्पतालों से दवाइयां ले सकता है या सीधे कारखानों से दवाइयां मंगवा सकता है।

सार्स महामारी के दौरान क्या हुआ?

चीन साल 2003 में जब सार्स बीमारी के लक्षणों से जूझ रहा था तो उसने प्रभावित लोगों की मदद के लिए बीजिंग में जियोतांगशान अस्पताल बनाया गया था। इसके निर्माण का काम सात दिनों में पूरा किया गया था। कथित तौर पर इसने किसी अस्पताल के सबसे तेज निर्माण के लिए विश्व रिकॉर्ड बनाया था।
चाइना डॉट कॉम के अनुसार इस अस्पताल को बनाने के लिए लगभग 4,000 लोगों ने दिन-रात काम किया था। अस्पताल में एक एक्स-रे कमरा, सीटी रूम, गहन-देखभाल के लिए इंटेन्सिव केयर यूनिट और एक प्रयोगशाला भी बनाई गई थी। साथ ही अस्पताल के प्रत्येक वार्ड में एक बाथरूम की सुविधा भी दी गई थी।
इस अस्पताल के निर्माण के बाद दो महीने के भीतर देश में मौजूद कुल सार्स रोगियों का सातवां हिस्सा इस अस्पताल में था। देश की मीडिया में इसे ‘चिकित्सा के इतिहास में चमत्कार’ करार दिया था।
जोआन कॉफमैन ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे बनाने का आदेश दिया था और दूसरे अस्पतालों से नर्सों और मौजूदा स्वास्थ्य सुविधाओं में लगे डॉक्टरों को यहां काम पर लगाया। उनके पास संक्रमित मरीजों की पहचान कर उनका इलाज करने के लिए जरूरी दिशानिर्देश थे।

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